Akash dwivedi ,आकाश द्विवेदी।देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गॉधी (बापू) की समाधि
के पास संत मुरारी बापू राम कथा कह रहे है।कथा के दौरान संत मुरारी बापू राष्ट्रपिता
महात्मा गॉधी के जीवन में राम की महिमा का भी वर्णन कर रहे है।राष्ट्रपिता के के
जीवन में राम के आदर्श थे।इससे भी वह भक्तो को अवगत करा रहे है नौ दिनो तक चलने
वाली यह कथा सर्वधर्म की प्रार्थना है।यह कथा 30 जनवरी से शुरु होकर 7 फरवरी तक चलेगी।कथा के दौरान बापू के भजनो पर श्रध्दालु झूम
उठ रहे है।
चौथे दिन कि कथा
में संत मुरारी बापू ने बताया कि आज के युवाओं को खादी के प्रति प्रोत्साहित किया।उन्होंने
कहा कि युवा वर्ग खादी चाहे न पहने,लेकिन उसका मान रखे।आज का युवा अपने मार्ग से
भटक गया है।उसे सही मार्ग की जरुरत है।विद्यार्थी के जीवन में एक मंत्र होना
चाहिये।जिससे वह अपने लक्ष्य को पा सकें।विद्या विनय से सुन्दर लगती है और विनय
सादगी से आता है।जो हमें उर्जावान बनाता है।जिसके लिए हमारे जीवन में सदगुरु का
होना आवश्यक है।जिसे सही स्वतंत्रता सद्गुरु से मिली है वह कभी मर्यादा नहीं
तोड़ता है।
भगवान
शिव कि महिमा के बारे में बताते हुए मोरारी बापू ने कहा कि शिव के अनेक रुप है।कभी
वह रुद्र है तो कभी वह कोमल।हम सबने भगवान शिव का वास होता है,लेकिन हम वहां तक
नहीं पहुंच पाते।हमारे जीवन में शिव के हर नाम की है बड़ी महिमा है।एक शिव के न
जाने कितने ही रूप व नाम हैं और हर नाम की अपनी महिमा है। इनके हर नाम में छिपी है
एक विशेष शक्ति। यह शक्ति तमाम समस्याओं
को नष्ट कर जीवन में सुख का संचार करने करती है।वह शिवशंकर हैं और गंगाधर भी, वह रामेश्वर हैं और नागेश्वर भी,कोई उन्हें शशिशेखर बुलाता है तो कोई डमरूधर ,कोई
ओंकार कहता है तो कोई त्रयंबकेश्वर कहता है।
कथा के दौरान बापू
ने यह भी बताया कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए धैर्य बनाए रखना पड़ता
है। उन्होंने कहा कि एक प्रसिद्ध कहावत है।पेड़ एक दिन में बड़ा नहीं होता। कहावत
पुरानी है लेकिन हम सभी के जीवन की कहानी है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी ईश्वर हमारी
मदद न करके भी हमारी मदद कर रहे होते हैं। जटिल परीक्षाओं की परिभाषा कुछ और होती कभी-कभी
हमें भी लगता है कि प्रयास और प्रार्थना करने पर भी भगवान हमारी सहायता नहीं कर
रहे, लेकिन कभी-कभी हमारा निर्माण करने के लिए ,हमें पैरों पर खड़ा करने के लिए वह
ऐसा करते हैं और हमें धैर्य का पाठ पढ़ाते हैं। भगवान शिव चिरकाल से गुरु पद पर
स्थित हैं। ग्रंथों में शिव के शिष्यों-प्रशिष्यों के नामों का उल्लेख है। शिव
गुरु हैं और संसार का एक-एक व्यक्ति उनका शिष्य हो सकता है। शिव सबके गुरु हैं। सभी उनके शिष्य है।भगवान
शिव कि महिमा पर प्रकाश डालते हुए बापू ने कहा कि शिव पूजा से परिवार में
समृध्दि, सुख, शांति और प्रेम बढ़ता है। शिव भक्त के जीवन से
कलेश, विकार, रोग, विपत्तियां दूर रहती हैं।
घर ही बैकुंठ बन जाता है, इसीलिए भगवान के धाम को बैकुंठ धाम कहा जाता
है। भागवान शाश्वत रूप से जहां निवास करते हैं, उसे बैकुंठ कहते हैं।
शिव की महिमा बताते हुए उन्होनें आगे कहा कि
भगवान शिव सरल और भोले स्वभाव के हैं। जल्दी प्रसन्न होने के कारण उन्हें औघड़दानी
भी कहा जाता है। सभी देवताओं में भगवान शिव ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जो स्वयं तो
पूजे जाते हैं। बल्कि उनका पूरा परिवार भी पूजनीय है। मानव जीवन में व्याप्त
सारी समस्याओं का समाधान ईश्वर है। ईश्वर की ज्योति चेतना का प्रमाण प्रत्येक
व्यक्ति में है। लेकिन हम ईश्वर की संरचना को भी नहीं समझ पा रहे हैं। उन्होंने बताया
कि शिव की महिमा का रामचरित मानस में गोस्वामीजी ने मानव जीवन के निहितार्थ सुंदर
चित्रण किया है। श्रीराम व शिवजी ने जो लीला की है मानव जगत को सीख देने के लिए ही
की है।शिव की महिमा के साथ बापू ने सती की महिमा के बारे में भी श्रध्दालुओं को
बताया।
राष्ट्रपिता महात्मा गॉधी के राम
के बारे में बापू ने बताते हुए कहां कि गाधी के राम दशरथ के राम नहीं उनके राम
सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी और सर्व दृष्टा हैं।आज देश के
युवाओं को उनके आदर्शो पर चलने की जरुरत है। गॉधी जी अपने पूरे जीवन में
सत्य,प्रेम और करुण को निभाया।उनका सत्य ही उनकी ताकत था।
राम कथा का अर्थ
समझाते हुये बापू ने बताया कि जहां भी राम कथा होती है वह न केवल सभी क्षेत्र को
ही बल्की समस्त लोक को पवित्र करती है।राम कथा मानव की जिग्यासा का समाधान है।कभी-
कभी हमारे मन में कई तरह के विचार उठते या प्रश्न आते जिनका हमें उत्तर नहीं पता
होता है।राम कथा इसी का समाधान है।
अपने अंदर कभी भी द्वेश न रखे
कथा के दौरान
बापू ने अपने भक्तों को यह भी कहा कि
वे किसी के लिए द्वेश और ईष्या की भावना लेकर कभी भी हमारा विकास नहीं हो सकता।आज हमारे देश में कई लोग देश छोड़ने को तैयार है,लेकिन द्वेश छोड़ने को तैयार नहीं है।बापू ने यह भी सिखाया कि आप अपने अंदर का सद्वचन कभी भी न छोड़े।समाज में सक्रिय होते हुए भी समान्य बन जाये।तब पके साथ चक्रधारी व चक्र दोनो घुमेगा।
कोमलता और कमजोरी जीवन है
हमारे समाज में
जो अपने आप को बलवान और चालाक मानते है उन्हें उनका अहंकार ही मिटा देता है।मनुष्य
को अपने बल पर अहंकार रहता है कमजोरी पर नहीं।हक,मोहब्त और प्रेम ये तीन जिनके पास
हो से तो कोई नीचा दिखा सकता है,लेकिन हरा नहीं सकता।हमें हमारे जीवन में जितना
संग्रह करना हो हम कर सकते है,लेकिन बाद में हमारे मन की सन्तुष्टी भी जरुरी है।व्यास
पीठ का राम इतना विशाल है कि वह एक प्रेम में नहीं समा सकता,लेकिन उसके लिए हमारे
मन में रह सकता है।
साम्य स्वभाव में ही आपके विकास
मनुष्य के स्वभाव
के बारे में चर्चा करते हुए मोरारी बापू ने बताया कि हमारे साम्य स्वभाव में ही
हमारा व्यक्तित्व झलकता है।इंसान का व्यक्तित्व ही उसके जीवन की पहंचान होता
है।आध्यात्मिक साधना करने वालो के पास समय नहीं होता,समय तो नके पास रहता तो खाली
रहते है।वहीं व्यर्थ का कुतर्क करते है।ज्ञानी का समय उसके लिए हमेशा महत्वपूर्ण
रहता है।जो से कभी भी व्यर्थ नहीं करता है।
दुख आया है तो जायेगा भी
मानव के दुख के
बारे में वर्णन करते हुये मोरारी बापू ने कहा कि दुनियां में कोई भी वस्तु स्थिर
नहीं है जो आया है वह जायेगा भी।अगर हमारे जीवन में दुख आया है तो उसका अन्त भी
होगा।विद्धाता ने जो लिखा है उसे कोई मिटा नहीं सकता।बस हमें अपने कर्म और ईश्वर
पर विश्वास रखकर आगे बढ़ते रहना चाहिए।दुख के समय हमारा साहस ही हमें आगे आने की
प्रेरणा देता है।