Monday, February 1, 2016

व्यक्ति के स्वभाव के विभिन्न पहलुओं के साथ मुरारी बापू ने सुनाई राम कथा


राजधानी के राजघाट में शुरु हुई राम कथा,देश विदेश से हजारों की संख्या में आये भक्त


akash dwivedi,आकाश द्विवेदी।देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गॉधी (बापू) की समाधि के पास संत मुरारी बापू महात्मा गॉधी के जीवन राम का महत्व समझा कर  कथा कह रहे है।कथा सुन्ने की उत्सुकता का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि देश- विदेश से हजारो की संख्या में भक्तों का यहां तांता लगा हुआ है।कथा के दौरान बापू ने भक्तो समाज व व्यक्ति के स्वभाव के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।नौ दिनो तक चलने वाली यह कथा सर्वधर्म की प्रार्थना है।यह कथा 30 जनवरी से शुरु होकर 7 फरवरी तक चलेगी।कथा के दौरान मंच से देश व विदेश के कई जानी-मानी हस्तियों ने भी अपने विचार बापू के सामने प्रगट किये।
                            कथा के तीसरे दिन बापू ने गॉधी के राम,रामचरित्रमानस,समाज में नारी का योगदान,शिव महिमा,सती महिमा,उपनिषद,सर्वधर्म सम्भाव,जीवन में अध्यात्म का महत्व सहित अनेक विषयों पर अपना ज्ञान बांटा।कथा के दौरान वहां उपस्थित श्रद्धालुओ में बापू के श्री मुख से निकले शब्दो को सुनने के लिए गजब का उत्साह देखा गया।कथा के दौरान समय-समय पर बापू द्वारा प्रभू के भजन गाये जा रहे थे।जिसपे वहां उपस्थित भक्तगण पूरी श्रद्धा के साथ झूम रहे थे।बापू द्वारा दिये गये ज्ञान को सभी भक्तो द्वारा काफी ध्यान से सुना जा रहा था।जिसमें पुरुष,महिला,बच्चे और बुजुर्गों वर्ग भी शामिल थे।
                               राष्ट्रपिता महात्मा गॉधी के जीवन का वर्णन करते हुए बापू ने बताया कि गॉधी और राम में बहुत साम्य है। उन्होनें बताया कि मर्याद पुरुषोत्म श्री राम के जीवन से हमें सीख लेनी चाहिए।धरती पर जन्म लेकर उन्होने अपना पूरा जीवन आदर्ष पुत्र,आदर्श भाई और आदर्श पति की भूमिका निभाई।हम किसी के बारे में बोलने से पहले उसे समझते है तो ही हमें कथा का सुख मिलता,ये ऐसा ज्ञान है जिसे हम अपने जीवन में उतारकर हर तरह के सुख को प्राप्त कर सकते है।बापू ने यह भी बताया कि किसी भी निर्णय पर जाने से पूर्व आप सफलता के लिए प्रयास करें।यदि किसी कारण वस असफल होते है तो भगवान की मर्जी पर छोड़ दें।
                    होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥  
इस दोहे का अर्थ समझाते हुए बापू ने बताया कि इस धरती पर जो कुछ राम ने रच रखा हैवही होगा। तर्क-वितर्क करके कोई फायदा नहीं है।हमें कभी भी ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा को कम नहीं करना चाहिए।सुख और दुख की घड़ी में हमेशा उसके परोपकार पर विश्वास रखना चाहिए।
                   राम कीन्ह चाहहिं सोइ होई। करै अन्यथा अस नहिं कोई॥
इस दोहे को समझाते हुये अपने श्री मुख से मोरारी बापू ने बताया कि श्रीरामजी जो करना चाहते हैंवही होता है। ऐसा कोई नहीं जो उसके विरुद्ध कर सके।इस संसार में ईश्वर ही सर्व शक्तिमान है,उनके सिवा दूसरा कोई नहीं।इसलिए हमें केवल ईश्वर पर ही भरोसा रखना चाहिये।उसका नाम लेकर ही अपने लक्ष्य की तरफ जाना चाहिए।
                     राष्ट्रपिता महात्मा गॉधी के विचारो के बारे में बताते हुए मोरारी बापू ने कहा कि गॉधी जी अपने जीवन में मर्यादा पुरुषोत्म श्री राम चन्द्र जी की तरह एक आदर्श जीवन बिताया जो कि इस ,देश में ही क्या अन्य देशो में भी उनके आदर्शों पर लोगों ने चलना शुरु किया।गॉधी जी ने अपना पूरा जीवन मानव सेवा में ही व्यतीत किया।वे हमेशा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते रहे और अपने जीवन के अन्त तक अपने आदर्शो को नहीं छोड़ा।इस अवसर पर भाजपा सांसद,मनोज तिवारी,राजघाट के सचिव रजनिश,गोविंद कृष्ण पाठक मौजूद,एन,डयू फारेस्ट्र,के.आर. शर्मा,गोपाल गुप्ता सहित देश व विदेश से आये हजारो की संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।
मनुष्य को कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए
व्यक्ति के स्वभाव के बारे में चर्चा करते हुये मोरारी बापू ने कहां कि आज हम भैतिक सुखो की तरफ बढ़ते जा रहे है,लेकिन धर्म का फल ही दुख है,लेकिन वह दुख भौतिक सुखो से काफी बेहतर है।समाज को देखते हुए हम अपना रुप बदल सकते है,लेकिन स्वरुप नहीं।कभी-कभी कुछ खोकर ही बहुत कुछ पाते है।ये हमारा स्वभाव है।हमारा अहंकार ही हमें झूठ बोलना सिखाता है।झूठ जहर है जो हमारे जीवन को नाश करता है।

आदि काल से स्त्री की महिमा अपार
स्त्री की महिमा का व्यखान करना करते हुये बापू ने बताया कि सीता  महिमा का व्यख्यान करते हुऐ बोले आज की स्त्री को उनके जीवन को देख कर  सीख लेनी चाहिये।उनकी महिमा के आधार पर कथा सुनाते हुए बापू ने कहा कि राम सीता का जीवन इतिहास ही नहीं बल्कि आज की जरूरत है ।आधुनिक परिवेश में हर क्षेत्र में बदलाव आया है।आज की नारी सशक्त है।वह पुरुष प्रधान समाज में भी पुरुषो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। माता सीता का जीवन चरित्र सभी स्त्रियों के लिए मार्गदर्शक का कार्यकरता है। माता सीता हमारे देश भारत की नारी की आदर्श हैं।

जीवन में दृण संकल्प जरुरी    
हमें किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए पूरे मन से परिश्रम करना चाहिये।अगर हम मन में ईश्वर का भाव लेकर सच्चे मन से पूरी लगन के साथ कोई कार्य करते है तो भगवान हमारा साथ देते है।दुनियां में परिश्रम का कोई तोड़ नहीं है।आज नहीं तो कल हमें हमारे परिश्रम का फल मिलता है।दृण संकल्प और परिश्रण हर मर्ज की दवा है।परिश्रमी लोग कभी भी असफल नहीं होते है।
कभी भी असत्य का साथ न दें
बापू ने अपनी राम कथा में भक्तो को इस बात से भी अवगत कराया की वे अपने जीवन में कभी भी असत्य को जगह न दें।समारे समाज में कभी- कभी झूठ बोलने वालो को ऐसी सिद्धी मिल जाती है कि सामने वाले को पता नहीं चलता है,लेकिन ऐसे लोग कुछ क्षण के लिये सफल होते या अपने आप को सफल समझने लगते है।वे यथार्थ में कभी नहीं जीते।उनके सामने हमेशा असत्य का मार्ग खड़ा रहता है।जो उनके लिये बाद में बेहद कष्ट दायी होता है।

किसी से सीखने में कोई हर्ज नहीं
जीवन की शिक्षा का वर्णन करते हुए बापू ने अपने श्री मुख से बताया कि अच्छे वक्ता को सुनना जरुरी है।जो लोग यह समझते है कि उन्हें सब पता है उन्हें कई बार कुछ पता नहीं होता है।वे केवल भ्रम के शिकार होते है।अगर हमें किसी से सही ज्ञान मिले तो उसे लेने में कोई हर्ज नहीं है।इससे हमारा ज्ञान और बढ़ता है जो हमें विकास की ओर ले के जाता है।ज्ञान ही सफलता की वह कुंजी है जो जिवन के हर मोड़ पर हमारा साथ देती है।

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