Wednesday, April 27, 2016

टाईटलर ने 1984 सिख कत्लेआम के दौरान सैंकड़ों सिखों की जान बचाने का किया दावा


जी.के. ने टाईटलर के दावे को सिखों के जख्मों पर नमक छिड़कने एवं मारे गये निर्दोष सिखों की लाशों का बेशर्मी से मजाक उड़ाने का प्रतीक बताया

नई दिल्ली,27 अप्रैल,आकाश द्विवेदी। 1984 सिख कत्लेआम के कथित दोषी जगदीश टाईटलर द्वारा केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल को लिखे गये पत्र पर राजनीति गर्मा गई है। दरअसल दो दिन पहले टाईटलर द्वारा भेजे गये इस पत्र में टाईटलर ने 1984 सिख कत्लेआम के दौरान सैंकड़ों सिखों की जान बचाने का दावा किया था। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. ने टाईटलर के उक्त दावे को सिखों के जख्मों पर नमक छिड़कने एवं मारे गये निर्दोष सिखों की लाशों का बेशर्मी से मजाक उड़ाने का प्रतीक बताया है।

                जी.के. ने टाईटलर को अपने दावे पर शर्म करने की ताकीद करते हुए टाईटलर को इन्दिरा गांधी की मौत के बाद हुए सिख कत्लेआम का साजिशकर्ता एवं बेकसूर सिखों को मारने वाली बेकाबू भीड़ का मुख्य अगुवा भी करार दिया है। जी.के. ने कहा कि टाईटलर जैसा बदनाम नेता सिखों को बचाने का दावा करके दरअसल अपने जालिम जुल्म को छिपाने की नापाक कोशिश कर रहा है।

                जी.के. ने कहा कि ना तो टाईटलर और ना ही कांग्रेस पार्टी सिखों के हुए इस कत्लेआम की जिम्मेंदारी से झूठे दावों के सहारे बच सकती है क्योंकि सारी दिल्ली जानती है कि इस कत्लेआम के दौरान कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार, एच.के.एल.भगत, धर्मदास शास्त्री तथा टाईटलर ने भीड़ का नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आदेशों के तहत करते हुए  निर्दोष सिखों को निशाना बनाया था। जी.के. ने अफसोस जताया कि 32 वर्ष नरसंहार के बीतने के बावजूद पीडि़त इन्साफ का इन्तजार कर रहें हैं क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने अपने उक्त कातिल नेताओं को अदालतों में बचाने के लिए पूरी ताकत लगाकर सबूतों तथा गवाहों को सुनियोजित साजिश के तहत ठिकाने लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।


                कत्लेआम की जांच के लिए 11 जांच आयोग तथा कई जांच कमेटीयां अस्तित्व में आने के बावजूद कुछ एफ.आई.आर. दर्ज होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए जी.के. ने सिख कत्लेआम के पीछे कांग्रेस के बड़े नेता राजीव गांधी तथा अरूण नेहरू को मुख्य साजिशकर्ता भी बताया। जी.के. ने कहा कि दिल्ली कमेटी द्वारा कातिलों को जेलों में भेजने के लिए शुरू किये गये कानूनी हमले के बाद टाईटलर द्वारा अपने आप को बेगुनाह बताना उसके पूरी तरह कानूनी शिकंजे में फंसने के बाद की बौखलाहट नजर आती है।

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