नई दिल्ली,4 दिसम्बर,akash dwivedi। भारत में कोहरे का मौसम बहुत कष्टप्रद होता है जिसका प्रभाव हमारे रेल परिचालन पर गंभीर रूप से पड़ता है। हाल ही के वर्षों में, कोहरे के मौसम में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। उदाहरण के लिए, पिछले कोहरे के मौसम के दौरान दिसम्बर-14 के अंतिम सम्ताह से मार्च 2015 के प्रथम सम्ताह तक रेल गाड़ियों के परिचालन पर कोहरे का काफी प्रभाव पड़ा था। इसके अतिरिक्त सबसे पहले कोहरे का प्रभाव भारत के पूर्वी भाग और मध्य भारत के कुछ भाग में गंगा के मैदानी भाग पर पड़ा था। तथापि, हमारा पिछला कोहरे के मौसम का अनुभव यह दर्शाता है कि घने कोहरे का दृश्य उत्तरी क्षेत्रों तक, उत्तर प्रदेश, उप हिमालय पश्चिम बंगाल में बिहार की तलहटी तथा उत्तरी पूर्वी राज्यों में गुवाहटी और अगरतला तक घटित हुआ था। दक्षिण पश्चिम की ओर, पश्चिमी तटीय स्थान जैसे गोआ, कारवाड़ एवं मंगलौर में दिसम्बर-2014 से फरवरी 2015 तक कोहरे के मौसम का प्रभाव हुआ। जिसके कारण दृश्यता काफी हद तक प्रभावित हुई। यहाँ तक कि जनवरी 2015 के दौरान हैदराबाद भी कोहरे की चपेट में आ गया था। कोहरे के मौसम में कोहरे से प्रभावित क्षेत्र में ड्राइवरों के लिए असमान्य दृश्यता एवं संरक्षा प्रोटोकॉल (गति प्रतिबंध) के कारण मालगाड़ियों एवं कोचिंग रेलगाडियों का संचालन घटा देता है। हमारा गत अनुभव है कि लगभग 25-30 प्रतिशत रेलगाड़ियां अपने गंतव्य स्टेशनों पर असमान्य रूप से लेट पहुंचती हैं, जिसके कारण उनकी वापसी यात्रा री-शिडयूल की जाती है या असमान्य लेट हो जाने के कारण उन्हें रदद करना पड़ जाता है।
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