Sunday, January 31, 2016

श्री राम के जीवन आदर्श को अपने जीवन में उतारे तभी जीवन की सार्थकता है- मुरारी बापू

 

नई दिल्ली,31 जनवरी,आकाश द्विवेदी।देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गॉधी (बापू) की समाधि के पास संत मुरारी बापू महात्मा गॉधी के जीवन को श्री रामचरित्र मानस से जोड़कर कथा कह रहे है।इस कथा में देश- विदेश से हजारो की संख्या में भक्तों का तांता लगा हुआ है।कथा के दौरान बापू ने भक्तो समाज के विभिन्न पहलुओं  से अवगत कराया।नौ दिनो तक चलने वाली यह कथा सर्वधर्म की प्रार्थना है।यह कथा यह कथा 30 जनवरी से शुरु होकर 7 फरवरी तक चलेगी।कथा के दौरान मंच से देश व विदेश के कई विद्यवान हस्तियों ने भी अपने विचार रखे।

                               दूसरे दिन की कथा में मोरारी बापू ने बताया कि श्रीराम का जीवन चरित्र मात्र ग्रंथों की चौपाइयों का मधुर गायन नहीं है। राम चरित्र मानस का प्रत्येक प्रसंग आलौकिक रहस्यों को प्रगट करता है। भगवान राम का चरित्र वेदों की प्रायोगिक व्याख्या है। इसलिए जो रामजी ने कह दिया वही वेद है।मानस भी वेदों की भांति पुण्य प्राप्त कराता है। जो वेदो में लिखा है वहीं रामचरित मानस में है। जिस घर में रामायण और गीता का पाठ होता है उस घर में हमेशा मंगल निवास करता है। परिवार में खुशहाली बनी रहती है। दुख,तकलीफों से मुक्ति मिलती है। प्रभु तक पहुंचने का यह सबसे सरल मार्ग है।

                                  उन्होंने सनातन धर्म को शाश्वत धर्म बताते हुए कहा कि जिस प्रकार वेदों में बहु देव वाद है उसी प्रकार रामचरित मानस में भी सभी देवताओं का सम्मान किया है।बापू ने हनुमान चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि रामचरित मानस जीवन जीने की कला सिखाता है। राम और सीता के चरित्र से लोगों को सीख लेनी चाहिए। राम एक आदर्श पुत्र के साथ साथ एक आदर्श राजा भी थे।लाभ से लोभ और लोभ से पाप बढ़ता है। भगवान श्रीराम के जीवन आदर्श को अपने जीवन में उतारे तभी जीवन की सार्थकता है।राजा की महत्ता के बारे में बापू ने बताया किराजा को प्रजा के लिए शीलवान होना चाहिए।कमजोरियों के साथ जो मानव को कबूल करें वहीं सच्चा राजा होता है।

                     बापू ने महात्मा गॉधी के बारे में कहा कि उनकी समझ में गॉधी की चेतना आज भी जागृत अवस्था में है। दुनिया में अब गांधी तो नहीं रहे, लेकिन उनके विचार भारत ही नहीं पूरी दुनिया में लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। आज भी बापू के काम को याद किया जाता है।आज कर्म का क्रोध,आतंकवाद का दैत्य पूरी सत्यता को लीलने को तैयार है। वे अच्छी तरह समझते हैं कि जिंदगी ज्यादा-से-ज्यादा दूसरे दर्जे की जिंदगी होती है और हमें बराबर आदर्श तथा संभाव्य के बीच समझौता करते हुए चलना पड़ता है । गांधी जी ने सत्य तथा अहिंसा का जो संदेश दिया आज उसकी प्रासंगिकता काफी बढ़ गई है। आज हमें बापू के विचारो पर चलने की जरुरत है।

इस दौरान मोरारी बापू ने आस्ट्रेलिया से आये एनडयू फारेस्ट्र द्वारा लाई गई पुस्तक पर हस्ताक्षर भी किया।इसके साथ ही एक अन्य सेवक द्वारा बांगलादेश आने का निमन्त्रण भी स्वीकार्य किया।इस अवसर पर ,राजघाट के सचिव रजनिश,शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र,गोविंद कृष्ण पाठक मौजूद,एन,डयू फारेस्ट्र,के.आर. शर्मा,गोपाल गुप्ता सहित देश व विदेश के हजारो भक्त उपस्थित थे।

नारी शक्ति को समाज में बराबरी का अधिकार

बापू ने नारी शक्ति को आगे आने का आह्वान किया समाज में महिला भागीदारी की बात कही।बापू ने कहा हमारे समाज में जितना हक पुरुषो का है उतना ही स्त्रियों का है ।नारी की महत्ता अभिन्न है।एक ही ब्रह्म ने स्त्री व पुरुष का रुप धारण किया है।हमें हमेशा स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए।नारी द्वारा एक अच्छे समाज का निर्माण होता है।

कभी किसी को नीचा मत दिखाओं

अपनी राम कथा में मुरारी बापू ने मनुष्य के स्वभाव का वर्णन करते हुए कहा कि जो लोग किसी को नीचा दिखा के आगे आना चाहते है। वह जीवन में कभी भी सफल नहीं होते है।कुछ देर के लिए आप अपने को लेकर भ्रम में हो जाते है,लेकिन सत्य से अवगत होने पर आपके पास केवल निराशा ही रहती है।इसी लिये कभी भी किसी का अपमान नहीं करना चाहिये।समय हमेशा एक बराबर नहीं रहता।आप जिसका निरादर करते है ईश्वर उसे आगे ले जाता है।

राजघाट राजधर्म सिखाने की पाठशाला

संत मोरारी बापू ने कहा कि राजघाट राजधर्म सिखाने की पाठशाला है। यहां से सत्य का महामार्ग प्राप्त हो सकता है। कोई यहां से राजधर्म सीख ले तो रामराज आ जाए।महात्मा गॉधी के बारे में बताते हुए मोरारी बापू ने कहा कि महात्मा गॉधी का जीवन लोगो को समर्पित था।वे हमेशा सत्य के साथ रहते थे।राजघाट वह पवित्र स्थान है जहां सभी धर्मो के लोग आ सकते है।राजघाट के चारो कोने हमें एकता,अमन,प्रेरणा और शांति प्रदान करते

आंतरिक शुध्दता पर भी ध्यान देना जरुरी

बापू ने समाज व इसमे रह रहे नागरिको के बारे में यह कहा कि आज लोगो का मन दूषित हो रहा है।हमारी आंतरिक शुध्दता खत्म हो रही है।हम स्वार्थी होते जा रहे है केवल अपना हित देख रहे है जिससे हमारा अहित हो रहा है।मन की स्वतंत्रता जरुरी है,लेकिन मर्यादा के साथ।आज हम भैतिक्ता में इतने खो गये है कि अपने आप को संबाल नहीं पा रहे है।

कमजोरो के साथ ईश्वर होते   

जो लोग समाज में कमजोर है या जिनका तिरस्कार हुआ है उनके साथ हमेशा ईश्वर रहते है।हमारे समाज में ऐसे हजारे उदाहरण है जिनमें देखा गया है कि शाररिक रुप से कमजोर,समाज से निरादर पाये हुये लोग अन्त में दुनिया को फतह किया है।सत्य को उजागर करना कभी-कभी खुद के खिलाफ हो जाता है,लेकिन सत्य का मार्ग हमें सफलता की ओर ले जाता है।

जीवन में सच्चे गुरु की महिमा अपार

हमारे जीवन को दिशा देने में गुरु की महिमा का बहुत योगदान होता है।जिस पे गुरु की कृपा होती है,उसपे सदा ईश्वर भी अपनी कृपा बनाये रखता है।एक प्रसन्न गुरु ही अपने शिष्य को प्रसन्न रखता है।गुरु कबी किसी का विरोध नहीं करता वह स्वच्छ मन से अपने शिष्यों को सच्चा ज्ञान देता है।हमें हमेशा अपने गुरु का सम्मान करना चाहिए।

 

 

 

देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजघाट पर शुरु हुई मोरारी बापू की राम कथा,देश विदेश से आये भक्त

जीवन का सार समझने के लिए राम चरित मानस जैसा कोई दर्पण नहीं- मोरारी बापू


New Delhi,Akash Dwivedi,नई दिल्ली,आकाश द्विवेदी।देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गॉधी (बापू) की समाधि के निकट जीवनदर्शन का सही मार्ग बताने वाले संतश्री मोरारी बापू नौ दिनों तक अपने विशिष्ट अंदाज में रामकथा का भक्तो को रसास्वादन करा रहे है ।श्री रामचरित्र मानस पर अधारित यह कथा 30 जनवरी से शुरु होकर 7 फरवरी तक चलेगी।
पहले दिन की कथा में बापू ने बताया कि राम चरित मानस जैसा कोई दर्पण नहीं है। भगवान और उनका मानस इतना सुंदर है कि खरदूषण जैसा राक्षस, जिसकी बहन सुपर्णखा की नाक कटी थी। इसके बाद भी वह राम को देख कर मुग्ध हो गया था। उसने कहा था कि उन्होंने ऐसा स्वरूप कभी नहीं देखा था। उन्होंने कहा कि मानस आलमारी की शोभा बढ़ाने वाला ग्रंथ नहीं, बल्कि विश्वास करने वाला ग्रंथ है।
                                  बापू ने यह भी बताया कि कथा के नौ दिन सर्वधर्म की प्रार्थना है।सत्य से ही से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है।राजधानी के राजघाट(गॉधी समाधी स्थल)की महिमा को बताते हुए मोरारी बापू ने कहा मेरी समझ से महात्मा गॉधी की चेतना जागृत है।राजघाट सर्वधर्म की पाठशाला हो सकती है यह एक दिन का चर्चा नहीं नौ दिन की कथा है। उन्होंने आगे कहा कि मैं गॉधी सभी धर्मो के पैग्मबरों में विश्वास करता थे और ईश्वर से निरंतर प्रार्थना करते थे कि मुझे शक्ति दे कि मैं किसी के प्रती क्रोध न रखू।देश को अच्छा भविष्य देने व बिहार की गरीबी को देख गॉधी अपने वस्त्र त्याग दिये थे। गॉधी मुक्त चिंतन में ईश्वर है।व्यक्ति में जल तप होना चहिये।जल तप वह तप होता है जो दुसरो का हित करें।कभी भी किसी के ऑसू की आलोचना नहीं होनी चाहिए।अगर हम किसी को दुख देते है तो वह कही न कही दूसरा रुप लेकर हमें ठेस पहुंचाता है। मानस के अधार पर गॉधी विचार को लेकर हम यहां नौ दिन की कथा कर रहे है।
मोरारी बापू ने हिन्दु धर्म को बताते हुए कहां कि इसमें सभी धर्मो का समावेश है।धर्म की रक्षा सके अनुयायी करते है,जो धर्म के लेकर लड़ते है अपने- अपने धर्म की अवहेलना करते है।कोई भी धर्म बिना श्रध्दा के पालन नहीं किया जा सकता है।साधना का मार्ग कठिन और लंबा होता है गोस्वामी तुलसीदास जी ने बहुत सी दिशाओं में यात्रा की और प्रत्येक दिशा में सत्य को ही पाया। गोस्वामी जी के जीवन में सत्य विभिन्न मार्गो से आया।
                             मोरारी बापू ने कहा कि शिष्य तो गुरु को फूल ही दे सकता है, लेकिन फल तो गुरु ही दे सकता है। उन्होंने कहा कि संसार किसी सिद्ध पुरुष का सार समझता है। परमात्मा में लीन होकर शून्य हो जाना सार्थक है। किसी कार्य को मंजिल तक ले जाना शून्य होता है। जीवन की सरलता ही शून्य है। इसे जो समझ ले उसे संसार को जान लेता है।भाई की महान्ता के बारे में बताते हुए बापू ने कहा कि कहा कि हमें भाईचारे की सीख भरत जैसे भाई से सीखनी होगी। भरत के आदर्श और चरित्र को ध्यान में रखते हुए उनके जैसा भाई बनना होगा। हमारे मन में जलन की भावना नहीं होना चाहिए।आयोजको द्वारा भक्तो की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए खाने-पीने के साथ-साथ चिकित्सा कैंप की व्यवस्था भी की गई है।दिल्ली में आयोजित इस कथा को सुन्ने के लिए देश और विदेश से भारी संख्या भक्तो का तांता लगा रहा।कथा के दौरान 2 मिनट का मौन रखकर महात्मा गॉधी को श्रद्दाजंली भी दि गयी।
                                इस अवसर पर डॉ. महेश शर्मा,भारत सरकार के संस्कृति, पर्यटन और नागरिक उड्डयन मन्त्रालय में स्वतन्त्र रूप से राज्य मन्त्री,केंद्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो,राजघाट के सचिव रजनिश,शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र,गोविंद कृष्ण पाठक मौजूद थे।

संकट को दूर करती है प्रार्थना-------------------
सच्चा साम्राज्य हमेशा व्यक्ति का होता है। स्मरण प्रेम सत्य ही प्रभु का गायन है। हनुमान से प्रार्थना करना ही संकट को दूर करना होता है। उनकी साधना ही जीवन संदेश है। किसी का विरोध नहीं होना चाहिए, निंदा हमेशा पीछे ले जाती है। निंदा की जगह निदान का ज्ञान होना चाहिए।
भगवान राम की महिमा अपार----------------------

भगवान राम हकीकत हैं। राम हैं तो हर रामायण में अलग-अलग बातें हैं। इतिहास देश व सीमा में बंधा होता है। किसी घटना की व्याख्या व बहस प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने ढंग से करता है, इसलिए विभिन्न रामायण में भी अलग-अलग बातें आती हैं। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति की कोई घटना कथा बन जाती है तो व्यक्ति अनंत हो जाता है। वह हरि कहलाता है। हरि अनंत हरि कथा अनंता।
 श्रद्धा से मिलते सारे सुख---------------------
भक्त की सेवा को भगवान अपनी सेवा मानते हैं और भक्त से किए गए विरोध को भगवान अपना विरोध मान लेते हैं क्योंकि भक्त के हृदय में भगवान का निवास होता है। भगवान का भक्त कभी किसी सुख समृद्धि के लिए पीछे नहीं दौड़ता है अपितु सारे सुख समृद्धि उसे खुद ही मिल जाते हैं। हमें तो केवल भक्ति करनी चाहिए।
------------------------------ ईश्वर के लिए अपने तप को समझे--------
मोरारी बापू ने तप की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीवन में तप का बड़ा महत्व होता है। श्रीराम ने मर्यादित होकर मानव जीवन जीने को तप बताया है। प्रभु श्रीराम ने रिश्तों में मर्यादा की स्थापना की है।
सफल जीवन के लिए किया गया श्रम तप ही तो है। जहां सफलता नहीं मिलती वहां समझ लेना चाहिए कि मेरी श्रम की तपस्या में कमी रही होगी। हमें कभी भी ईश्वर के प्रती अपनी आस्था को कम नहीं करना चहिए। जो परमार्थ दिखावे के लिए होता है, वह स्वार्थ से भी बुरा है और जो स्वार्थ सबके हित में हो, वह परमार्थ से भी अच्छा है।