नई दिल्ली,31 जनवरी,आकाश द्विवेदी।देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गॉधी (बापू) की समाधि के पास संत मुरारी बापू महात्मा गॉधी के जीवन को श्री रामचरित्र मानस से जोड़कर कथा कह रहे है।इस कथा में देश- विदेश से हजारो की संख्या में भक्तों का तांता लगा हुआ है।कथा के दौरान बापू ने भक्तो समाज के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया।नौ दिनो तक चलने वाली यह कथा सर्वधर्म की प्रार्थना है।यह कथा यह कथा 30 जनवरी से शुरु होकर 7 फरवरी तक चलेगी।कथा के दौरान मंच से देश व विदेश के कई विद्यवान हस्तियों ने भी अपने विचार रखे।
दूसरे दिन की कथा में मोरारी बापू ने बताया कि श्रीराम का जीवन चरित्र मात्र ग्रंथों की चौपाइयों का मधुर गायन नहीं है। राम चरित्र मानस का प्रत्येक प्रसंग आलौकिक रहस्यों को प्रगट करता है। भगवान राम का चरित्र वेदों की प्रायोगिक व्याख्या है। इसलिए जो रामजी ने कह दिया वही वेद है।मानस भी वेदों की भांति पुण्य प्राप्त कराता है। जो वेदो में लिखा है वहीं रामचरित मानस में है। जिस घर में रामायण और गीता का पाठ होता है उस घर में हमेशा मंगल निवास करता है। परिवार में खुशहाली बनी रहती है। दुख,तकलीफों से मुक्ति मिलती है। प्रभु तक पहुंचने का यह सबसे सरल मार्ग है।
उन्होंने सनातन धर्म को शाश्वत धर्म बताते हुए कहा कि जिस प्रकार वेदों में बहु देव वाद है उसी प्रकार रामचरित मानस में भी सभी देवताओं का सम्मान किया है।बापू ने हनुमान चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि रामचरित मानस जीवन जीने की कला सिखाता है। राम और सीता के चरित्र से लोगों को सीख लेनी चाहिए। राम एक आदर्श पुत्र के साथ साथ एक आदर्श राजा भी थे।लाभ से लोभ और लोभ से पाप बढ़ता है। भगवान श्रीराम के जीवन आदर्श को अपने जीवन में उतारे तभी जीवन की सार्थकता है।राजा की महत्ता के बारे में बापू ने बताया किराजा को प्रजा के लिए शीलवान होना चाहिए।कमजोरियों के साथ जो मानव को कबूल करें वहीं सच्चा राजा होता है।
बापू ने महात्मा गॉधी के बारे में कहा कि उनकी समझ में गॉधी की चेतना आज भी जागृत अवस्था में है। दुनिया में अब गांधी तो नहीं रहे, लेकिन उनके विचार भारत ही नहीं पूरी दुनिया में लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। आज भी बापू के काम को याद किया जाता है।आज कर्म का क्रोध,आतंकवाद का दैत्य पूरी सत्यता को लीलने को तैयार है। वे अच्छी तरह समझते हैं कि जिंदगी ज्यादा-से-ज्यादा दूसरे दर्जे की जिंदगी होती है और हमें बराबर आदर्श तथा संभाव्य के बीच समझौता करते हुए चलना पड़ता है । गांधी जी ने सत्य तथा अहिंसा का जो संदेश दिया आज उसकी प्रासंगिकता काफी बढ़ गई है। आज हमें बापू के विचारो पर चलने की जरुरत है।
इस दौरान मोरारी बापू ने आस्ट्रेलिया से आये एनडयू फारेस्ट्र द्वारा लाई गई पुस्तक पर हस्ताक्षर भी किया।इसके साथ ही एक अन्य सेवक द्वारा बांगलादेश आने का निमन्त्रण भी स्वीकार्य किया।इस अवसर पर ,राजघाट के सचिव रजनिश,शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र,गोविंद कृष्ण पाठक मौजूद,एन,डयू फारेस्ट्र,के.आर. शर्मा,गोपाल गुप्ता सहित देश व विदेश के हजारो भक्त उपस्थित थे।
नारी शक्ति को समाज में बराबरी का अधिकार
बापू ने नारी शक्ति को आगे आने का आह्वान किया समाज में महिला भागीदारी की बात कही।बापू ने कहा हमारे समाज में जितना हक पुरुषो का है उतना ही स्त्रियों का है ।नारी की महत्ता अभिन्न है।एक ही ब्रह्म ने स्त्री व पुरुष का रुप धारण किया है।हमें हमेशा स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए।नारी द्वारा एक अच्छे समाज का निर्माण होता है।
कभी किसी को नीचा मत दिखाओं
अपनी राम कथा में मुरारी बापू ने मनुष्य के स्वभाव का वर्णन करते हुए कहा कि जो लोग किसी को नीचा दिखा के आगे आना चाहते है। वह जीवन में कभी भी सफल नहीं होते है।कुछ देर के लिए आप अपने को लेकर भ्रम में हो जाते है,लेकिन सत्य से अवगत होने पर आपके पास केवल निराशा ही रहती है।इसी लिये कभी भी किसी का अपमान नहीं करना चाहिये।समय हमेशा एक बराबर नहीं रहता।आप जिसका निरादर करते है ईश्वर उसे आगे ले जाता है।
राजघाट राजधर्म सिखाने की पाठशाला
संत मोरारी बापू ने कहा कि राजघाट राजधर्म सिखाने की पाठशाला है। यहां से सत्य का महामार्ग प्राप्त हो सकता है। कोई यहां से राजधर्म सीख ले तो रामराज आ जाए।महात्मा गॉधी के बारे में बताते हुए मोरारी बापू ने कहा कि महात्मा गॉधी का जीवन लोगो को समर्पित था।वे हमेशा सत्य के साथ रहते थे।राजघाट वह पवित्र स्थान है जहां सभी धर्मो के लोग आ सकते है।राजघाट के चारो कोने हमें एकता,अमन,प्रेरणा और शांति प्रदान करते
आंतरिक शुध्दता पर भी ध्यान देना जरुरी
बापू ने समाज व इसमे रह रहे नागरिको के बारे में यह कहा कि आज लोगो का मन दूषित हो रहा है।हमारी आंतरिक शुध्दता खत्म हो रही है।हम स्वार्थी होते जा रहे है केवल अपना हित देख रहे है जिससे हमारा अहित हो रहा है।मन की स्वतंत्रता जरुरी है,लेकिन मर्यादा के साथ।आज हम भैतिक्ता में इतने खो गये है कि अपने आप को संबाल नहीं पा रहे है।
कमजोरो के साथ ईश्वर होते
जो लोग समाज में कमजोर है या जिनका तिरस्कार हुआ है उनके साथ हमेशा ईश्वर रहते है।हमारे समाज में ऐसे हजारे उदाहरण है जिनमें देखा गया है कि शाररिक रुप से कमजोर,समाज से निरादर पाये हुये लोग अन्त में दुनिया को फतह किया है।सत्य को उजागर करना कभी-कभी खुद के खिलाफ हो जाता है,लेकिन सत्य का मार्ग हमें सफलता की ओर ले जाता है।
जीवन में सच्चे गुरु की महिमा अपार
हमारे जीवन को दिशा देने में गुरु की महिमा का बहुत योगदान होता है।जिस पे गुरु की कृपा होती है,उसपे सदा ईश्वर भी अपनी कृपा बनाये रखता है।एक प्रसन्न गुरु ही अपने शिष्य को प्रसन्न रखता है।गुरु कबी किसी का विरोध नहीं करता वह स्वच्छ मन से अपने शिष्यों को सच्चा ज्ञान देता है।हमें हमेशा अपने गुरु का सम्मान करना चाहिए।
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