जीवन का सार
समझने के लिए राम चरित मानस जैसा कोई दर्पण नहीं- मोरारी बापू
New Delhi,Akash Dwivedi,नई दिल्ली,आकाश
द्विवेदी।देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गॉधी (बापू) की समाधि के निकट जीवनदर्शन का सही मार्ग बताने वाले
संतश्री मोरारी बापू नौ दिनों तक अपने विशिष्ट अंदाज में रामकथा का भक्तो को
रसास्वादन करा रहे है ।श्री रामचरित्र मानस पर अधारित यह कथा 30 जनवरी से शुरु होकर 7 फरवरी तक चलेगी।
पहले दिन की कथा में बापू ने बताया कि राम चरित मानस जैसा कोई दर्पण नहीं है।
भगवान और उनका मानस इतना सुंदर है कि खरदूषण जैसा राक्षस, जिसकी बहन सुपर्णखा की नाक कटी थी। इसके बाद भी वह राम को
देख कर मुग्ध हो गया था। उसने कहा था कि उन्होंने ऐसा स्वरूप कभी नहीं देखा था।
उन्होंने कहा कि मानस आलमारी की शोभा बढ़ाने वाला ग्रंथ नहीं, बल्कि विश्वास करने वाला ग्रंथ है।
बापू ने यह भी बताया कि कथा के नौ दिन सर्वधर्म की प्रार्थना है।सत्य से ही
से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है।राजधानी के राजघाट(गॉधी समाधी स्थल)की महिमा
को बताते हुए मोरारी बापू ने कहा मेरी समझ से महात्मा गॉधी की चेतना जागृत
है।राजघाट सर्वधर्म की पाठशाला हो सकती है यह एक दिन का चर्चा नहीं नौ दिन की कथा
है। उन्होंने आगे कहा कि मैं गॉधी सभी धर्मो के पैग्मबरों में विश्वास करता थे और
ईश्वर से निरंतर प्रार्थना करते थे कि मुझे शक्ति दे कि मैं किसी के प्रती क्रोध न
रखू।देश को अच्छा भविष्य देने व बिहार की गरीबी को देख गॉधी अपने वस्त्र त्याग
दिये थे। गॉधी मुक्त चिंतन में ईश्वर है।व्यक्ति में जल तप होना चहिये।जल तप वह तप
होता है जो दुसरो का हित करें।कभी भी किसी के ऑसू की आलोचना नहीं होनी चाहिए।अगर
हम किसी को दुख देते है तो वह कही न कही दूसरा रुप लेकर हमें ठेस पहुंचाता है।
मानस के अधार पर गॉधी विचार को लेकर हम यहां नौ दिन की कथा कर रहे है।
मोरारी बापू ने हिन्दु धर्म को बताते हुए कहां कि इसमें सभी धर्मो का समावेश
है।धर्म की रक्षा सके अनुयायी करते है,जो धर्म के लेकर लड़ते है अपने- अपने धर्म की अवहेलना करते है।कोई भी धर्म
बिना श्रध्दा के पालन नहीं किया जा सकता है।साधना का मार्ग कठिन और लंबा होता है
गोस्वामी तुलसीदास जी ने बहुत सी दिशाओं में यात्रा की और प्रत्येक दिशा में सत्य
को ही पाया। गोस्वामी जी के जीवन में सत्य विभिन्न मार्गो से आया।
मोरारी
बापू ने कहा कि शिष्य तो गुरु को फूल ही दे सकता है, लेकिन फल तो गुरु ही दे सकता है। उन्होंने कहा कि संसार
किसी सिद्ध पुरुष का सार समझता है। परमात्मा में लीन होकर शून्य हो जाना सार्थक
है। किसी कार्य को मंजिल तक ले जाना शून्य होता है। जीवन की सरलता ही शून्य है।
इसे जो समझ ले उसे संसार को जान लेता है।भाई की महान्ता के बारे में बताते हुए
बापू ने कहा कि कहा कि हमें भाईचारे की सीख भरत जैसे भाई से सीखनी होगी। भरत के
आदर्श और चरित्र को ध्यान में रखते हुए उनके जैसा भाई बनना होगा। हमारे मन में जलन
की भावना नहीं होना चाहिए।आयोजको द्वारा भक्तो की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए
खाने-पीने के साथ-साथ चिकित्सा कैंप की व्यवस्था भी की गई है।दिल्ली में आयोजित इस
कथा को सुन्ने के लिए देश और विदेश से भारी संख्या भक्तो का तांता लगा रहा।कथा के
दौरान 2 मिनट का मौन रखकर
महात्मा गॉधी को श्रद्दाजंली भी दि गयी।
इस अवसर पर डॉ. महेश शर्मा,भारत सरकार के संस्कृति, पर्यटन और नागरिक उड्डयन मन्त्रालय में स्वतन्त्र रूप से
राज्य मन्त्री,केंद्रीय शहरी
विकास राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो,राजघाट के सचिव
रजनिश,शहरी विकास मंत्रालय के
सचिव दुर्गा शंकर मिश्र,गोविंद कृष्ण
पाठक मौजूद थे।
संकट को दूर करती है
प्रार्थना-------------------
सच्चा साम्राज्य हमेशा व्यक्ति का होता है। स्मरण प्रेम सत्य ही प्रभु का गायन
है। हनुमान से प्रार्थना करना ही संकट को दूर करना होता है। उनकी साधना ही जीवन
संदेश है। किसी का विरोध नहीं होना चाहिए, निंदा हमेशा पीछे ले जाती है। निंदा की जगह निदान का ज्ञान होना चाहिए।
भगवान राम की महिमा
अपार----------------------
भगवान राम हकीकत हैं। राम हैं तो हर रामायण में अलग-अलग बातें हैं। इतिहास देश
व सीमा में बंधा होता है। किसी घटना की व्याख्या व बहस प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने
ढंग से करता है, इसलिए विभिन्न
रामायण में भी अलग-अलग बातें आती हैं। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति की कोई घटना कथा
बन जाती है तो व्यक्ति अनंत हो जाता है। वह हरि कहलाता है। हरि अनंत हरि कथा
अनंता।
श्रद्धा से मिलते सारे सुख---------------------
भक्त की सेवा को भगवान अपनी सेवा मानते हैं और भक्त से किए गए विरोध को भगवान
अपना विरोध मान लेते हैं क्योंकि भक्त के हृदय में भगवान का निवास होता है। भगवान
का भक्त कभी किसी सुख समृद्धि के लिए पीछे नहीं दौड़ता है अपितु सारे सुख समृद्धि
उसे खुद ही मिल जाते हैं। हमें तो केवल भक्ति करनी चाहिए।
------------------------------ ईश्वर के लिए अपने तप को
समझे--------
मोरारी बापू ने तप की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीवन में तप का
बड़ा महत्व होता है। श्रीराम ने मर्यादित होकर मानव जीवन जीने को तप बताया है।
प्रभु श्रीराम ने रिश्तों में मर्यादा की स्थापना की है।
सफल जीवन के लिए किया गया
श्रम तप ही तो है। जहां सफलता नहीं मिलती वहां समझ लेना चाहिए कि मेरी श्रम की
तपस्या में कमी रही होगी। हमें कभी भी ईश्वर के प्रती अपनी आस्था को कम नहीं करना
चहिए। जो परमार्थ दिखावे के लिए होता है, वह स्वार्थ से भी बुरा है और जो स्वार्थ सबके हित में हो, वह परमार्थ से भी अच्छा है।
0 comments:
Post a Comment