नई दिल्ली,आकाश द्विवेदी। भारत की एक बड़ी आबादी को मानसिक
चिकित्सा सुविधायें नहीं मिलने पर पर चिंता जताते हुये मनोचिकित्सकों ने नरेन्द्र
मोदी सरकार से देश के लोगों को उत्कृश्ट दर्जे की मानसिक चिकित्सा सुविधायें
उपलब्ध कराने के लिये तत्काल कदम उठाने तथा देश में समग्र मानसिक चिकित्सा को
बेहतर बनाने के लिए एक व्यापक मानसिक स्वास्थ्य नीति बनाये जाने की मांग की है।
मनोचिकित्सा पर सम्पन्न हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन फ्रंटियर्स
साइकाग में भाग लेने वाले मनोचिकित्सकों ने देश के
कस्बों, छोटे शहरों और गांवों में मानसिक स्वास्थ्य
देखभाल सुविधाओं की कमी पर अपनी चिंता जाहिर की।
फ्रंटियर्स साइकाग के आयोजक सचिव डॉ. सुनील मित्तल ने कहा कि भारत में उत्कृश्ट दर्जे की
मानसिक देखभाल की सुविधा उपलब्ध कराना एक चुनौती है क्योंकि यहां मानसिक रोगों के
इलाज और मानसिक रोगियों की देखभाल के लिए15 से 20 करोड़ रोगियों के लिए मात्र 4 हजार मनोचिकित्सक
ही उपलब्ध हैं। इसके अलावा,करीब 70 प्रतिशत
मनोचिकित्सक निजी क्षेत्र में हैं और सिर्फ एक तिहाई मनोचिकित्सक ही सरकारी
क्षेत्र में हैं। मानसिक रोगियों के बेहतर इलाज के लिए सिर्फ मनोचिकित्सकों की कमी
और बुनियादी सुविधाओं की कमी ही मुद्दा नहीं है, बल्कि देश में एक व्यापक मानसिक स्वास्थ्य नीति का भी अभाव है।
हमें उम्मीद है कि नई सरकार इन मामलों पर तुरंत गौर करेगी और उसके अनुसार कार्य
करेगी। उन्होंने कहा कि देश भर के लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में अच्छे दिन आने
की उम्मीद है और हम मनोचिकित्सकों को भी उम्मीद है कि अन्य क्षेत्रों की तरह
मानसिक चिकित्सा के क्षेत्र में भी ,अच्छे दिन आयेंगे। भारत और विदेशों आये 3सौ से अधिक प्रमुख
मनोचिकित्सकों और चिकित्सा विशेषज्ञों ने फ्रंटियर्स साइकाग सम्मेलन में भाग लिया । इस कार्यक्रम का
उद्घाटन पीजीआई, चंडीगढ के निदेशक प्रो. जे. एस. नेकी ने किया।
0 comments:
Post a Comment