Thursday, June 5, 2014

दिल्ली की सुरक्षा राम भरोसे

नई दिल्ली,आकाश द्विवेदी।दिल्ली में लगातार बढ़ती वारदातो को देखकर भी प्रशासन राजधानी में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगा पा रहा है।जिसके कारण राजधानी में निगरानी तंत्र के उपायों पर भी सवाल उठने लगे हैं। दिल्ली के मुख्य बाजार तथा सीमाओं पर अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरों का प्रस्ताव कई सालों से लंबित है। कई साल पहले राष्ट्रमंडल खेलों से पूर्व राजधानी में  सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम दिल्ली प्रशासन ने शुरु किया थालेकिन तब से लेकर अब तक इन चार सालों में  नाम मात्र के ही सीसीटीवी कैमरे दिल्ली में लग पाये ।जिन क्षेत्रों में ये में कैमरे लगे हैंवहां भी इनकी स्थिती खस्ताहाल हैं। अगर दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे सही तरह से काम करने लगे तो तो अपराधिक घटनाओं पर भी लगाम लगायी जा सकेगी ।राजधानी के  भीड़भाड़ वाले बाजारों समेत अन्य स्थानों पर संदिग्ध गतिविधियों और व्यक्तियों पर नजर रखने की इससे बेहतर व्यवस्था फिलहाल दूसरी नहीं है।
                 दिल्ली की ऐतिहासिक और भीड़भाड़ से भरे रहने वाले चांदनी चौक में निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरों की संख्या काफी कम है। जो कैमरे लगे भी है उनमें नाइट विजन नहीं है। करीब दस साल पहले लगाए गए कैमरों में रात के समय होने वाली गतिविधियां रिकार्ड नहीं हो पाती।कपड़ो के व्यापार के लिये प्रसिध्द  सरोजनी नगर मार्केट बम धमाकों का गवाह रह चुका है। इस बाजार में भी निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरों की संख्या काफी कम हैंजिनकी संख्या यहां के भीड़भाड़ के लिहाज से काफी नहीं है। इस बाजार में प्रशासन ने पुलिस को  तैनात किया  है लेकिन बाजार में प्रवेश वाले किसी भी गेट पर मेटल डिटेक्टर नहीं हैं।बड़े थोक बाजार सदर बाजार में भी करीब एक दर्जन सीसीटीवी कैमरे हैं। लेकिन 15 हजार दुकान वाले इस बाजार में आने वाले लोगों की संख्या लाखों में है। इस लिहाज से कैमरों की संख्या काफी नहीं है।मध्य दिल्ली का पहाड़गंज बाजार भी 2005 में आतंक का शिकार बन चुका है। 2007 में यहां 26 से ज्यादा कैमरे लगाए गए थे। लेकिन आलम यह है कि दो साल से अधिकतर सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं। इसके बावजूद उन्हें ठीक नहीं कराया जा सका है।


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