Tuesday, June 3, 2014

दिल्ली की सड़को पर नहीं दौड़ पायी चीन की बसे

नई दिल्ली,आकाश द्विवेदी। मोबाइल से लेकर घड़ी तक और बिजली के मीटरों से लेकर अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तक की आपूर्ति करने वाले पड़ोसी चीन से दिल्ली सरकार बसे खरीदने की योजना बनायी थी। चीन से बसों के खरीदने का कारण था ,सड़कों पर बसों की भारी कमी और भारतीय कंपनियों से इनकी खरीद को लेकर बात नहीं बन पाने से परेशान दिल्ली की सरकार पड़ोसी देश चीन से बसों को खरीद कर  दिल्ली के सड़को पर दौड़ाने वाली थी। इस समय दिल्ली की सड़को पर डीटीसी की लगभग 5 हजार बसे यात्रियो को सफर करा रही है, जबकि यात्रियों की सहुलियत के लिये 11 हजार बसों तक पहुंचने का लक्ष्य सरकार ने बनाया था।नयी बसे खरिदने के लिये वित्त विभाग ने नयी बसों की खरीद के लिए दिल्ली परिवहन निगम को जरूरी राशि भी प्रदान कर दी थी , लेकिन बसें नहीं खरीदी जा सकीं।
                        इस सन्दर्भ में आधिकारिय़ों का कहना है कि  पहले से ही टाटा और अशोक लीलैंड कंपनियों की बसें अभी दिल्ली की सड़कों पर दौड़ रही हैं। इन बसों को जब खरीदा गया  था तो इनके वार्षिक रखरखाव  की जिम्मेदारी भी इन्हीं कंपनियों को दे दी गयी थी। उस समय सरकार और इन कंपनियों के बीच करीब ढाई रुपये प्रति किलोमीटर की दर से रखरखाव का समझौता किया गया था। हुआ यह है कि इन बसों में लगातार आ रही तकनिकी खराबी के कारण निजी कंपनियों को ढाई रुपये प्रति किलोमीटर की दर से इनके रखरखाव का सौदा बेहद महंगा लगने लगा है। इसीलिए जब सरकार की ओर से बसों की नई खेप खरीदने की कवायद शुरू हुई तो इन कंपनियों ने रखरखाव के मद में करीब 80 रुपये प्रति किलोमीटर की दर तय करने का प्रस्ताव रखा। चूंकि ढाई रुपये और 80 रुपये प्रति किलोमीटर में कोई तुलना तक नहीं की जा सकती । इसी क्रम में भारतीय कंपनियों के अलावा चीन की कंपनियों द्वारा मांगी जा ही कीमतों का आकलन भी किया जा रहा था।जिसका खर्च भारतीय बसों की अपेक्षा काफी कम पड़ रहा था। लिहाजा डीटीसी के खेमें में चीन की बसे भी शामिल करने की योजना बनायी गयी थी।


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