20 लाख घर बनाने की योजना, कमजोर वर्गों को सस्ते दामों पर मकान तथा किसानों को उनकी भूमि का उचित मूल्य मिलने की आशा धूमिल -विजेन्द्र गुप्ता
नई दिल्ली,11 मई आकाश द्विवेदी।दिल्ली विधान सभा में विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुये केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया कि उसने दिल्ली विकास प्राधिकरण की महत्वाकांक्षी और अत्यंत लाभकारी लैण्ड पूलिंग योजना को जानबूझकर राजनीतिक भावना से प्रेरित होकर ठण्डे बस्ते में डाल रखा है । सरकार ने पिछले सवा साल से इस योजना से सम्बंधित फाइलों को दबाकर रखा हुआ है । उन्होंने कहा चॅंूकि यह योजना केन्द्र सरकार के तत्वाधान में डीडीए द्वारा तैयार की गई है, अतः आम आदमी पार्टी की सरकार राजधानी में 20 लाख घर बनाने की योजना शुरू नहीं कर रही है । इससे दिल्ली में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों को लैेण्ड पूलिंग योजना के अंतर्गत सस्ती दर पर जो घर मिलने वाले हैं, उन्हें साकार रूप नहीं दिया जा सका है । गुप्ता ने कहा कि सरकार की मंशा है कि किसानों को उनकी भूमि का उचित मूल्य समय पर न मिल सके और वे तंगहाली में ही जीवन व्यतीत करते रहें । संवाददाता सम्मेलन में भाजपा विधायक ओमप्रकाश शर्मा तथा जगदीश प्रधान भी उपस्थित थे ।
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार की हठधर्मी के कारण राजधानी में केन्द्र सरकार की इतनी बड़ी संख्या में घर बनाने की योजना शुरू नहीं हो पा रही है । इससे राजधानी के उन जरूरतमंदों को अपनी छत न मिलने के साथ हर वर्ष लाखों रुपया मकान के किराये पर खर्च करना पड़ रहा है । उन्होंने मुख्यमंत्री से माँग की है कि दिल्ली के लिए केन्द्र सरकार की लैण्ड पूलिंग योजना को लागू करने के लिए जो मामले पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से दिल्ली सरकार के पास लंबित पडे़ हैं, उनपर वे तुरंत निर्णय कर दिल्ली विकास प्राधिकरण को अवगत करायें, ताकि दिल्ली में लगभग 20 लाख बनने वाले नये फ्लैटों का निर्माण कार्य तेजी से प्रारंभ हो सके और जरूरतमंदों को मकान मिल सकें ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और उत्तरी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समितियों ने वर्ष 2014 में 89 गाँवों को शहरीकृत गाँव करने की स्वीकृति दे दी थी, उन ग्रामीण गाँवों को शहरीकृत गाँवों का दर्जा देकर दिल्ली सरकार द्वारा उसकी अधिसूचना जारी करनी थी । परन्तु दिल्ली सरकार ने आज तक अधिसूचना जारी नहीं की है ।
दिल्ली सरकार को दिल्ली विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1954 की धारा 12 के अंतर्गत 95 गाँवों को विकसित क्षेत्र (डेवलपमेंट एरिया) घोषित करने में तरह-तरह के अडं़गे लगा रही है ।
दिल्ली विकास प्राधिकरण के द्वारा तैयार किये गये आधार नक्शे को दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग द्वारा प्रामाणिक किया जाना था । दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने यह कार्य भी आज तक नहीं किया है, ताकि 20 लाख मकान बनाने के लिए डीडीए विधिवत भूमि विकास का कार्य न कर सके ।
गुप्ता ने बताया कि उन्होंने इस मामले को दिल्ली विकास प्राधिकरण की बैठक में उठाया था । इस बैठक में माननीय उपराज्यपाल, उपाध्यक्ष-दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और प्रधान सचिव-शहरी विकास मंत्रालय इत्यादि उपस्थित थे। बैठक में गुप्ता ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से जानना चाहा कि इस मामले को क्यों जान-बूझकर दबाया जा रहा है तो मुख्य सचिव इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाये और बहानेबाजी करते रहे । इस पर उन्हें सख्त हिदायत दी गयी कि इसका जवाब अगली बैठक में दिल्ली सरकार अवश्य दे । इस बैठक में दिल्ली विकास प्राधिकरण के सभी सदस्यों ने अपना रोष व्यक्त किया ।
डीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष बलविन्दर कुमार ने इस पूरे मामले पर 16 मार्च 2015 को प्रधान सचिव (राजस्व), तत्कालीन निदेशक, स्थानीय निकाय, मुख्य सचिव, दिल्ली को कई पत्र लिखा, लेकिन दिल्ली सरकार ने एक भी पत्र का जवाब तक नहीं दिया । डीडीए के वर्तमान उपाध्यक्ष अरुण गोयल ने भी 5अक्तूबर 2015 को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को उपरोक्त तीनों विषयों पर अलग-अलग पत्र लिखा, परन्तु दिल्ली सरकार ने जान-बूझकर आज तक इस मामले को लटकाये रखा है, ताकि गरीबों को केन्द्र सरकार मकान उपलब्ध न करा सके ।
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