Friday, May 13, 2016

प्लास्टिकल्चर पानी के उचित इस्तेमाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता

नई दिल्ली 13 मई,आकाश द्विवेदी भारत में बसने वाली दुनिया की 17.84 प्रतिशत आबादी की आवश्यकता 2.4 प्रतिशत जमीन और 4 प्रतिशत जल संसाधनों से पूरी होती है, इस तथ्य से पानी का सही उपयोग अति महत्वपूर्ण होता जा रहा है। ठीक इसी दौरान मानसूनी बारिश भी अनियमित हो रही है। परिणामस्वरुप खतरनाक स्तर तक गिर चुके भूमिगत जलस्तर से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन पर खतरा पैदा हो गया है। प्लास्टिकल्चर- खेती बाग बानी, जल प्रबंधन, खाद्यान्न भंडारण और संबंधित क्षेत्रों में प्लास्टिक का उपयोग इस चुनौती का जवाब हैं। यह पानी के उचित प्रयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आकलन के अनुसार माइक्रो इरिगेशन तकनीक के सही प्रयोग से 50-70प्रतिशत तक पानी की बचत हो सकती है। इसलिए प्लास्टिकल्चर सेक्टर को इसकी क्षमताएं याद दिलाने और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान के लिए प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। माइक्रो इरिगेशन पानी की काफी बचत के साथ ही 30 से 100 प्रतिशत उत्पादकता बढ़ा सकता है। इससे उर्वरक उपयोग की क्षमता भी बढ़ती है। 
भारत में प्लास्टिकल्चर की क्षमता पर फिक्की-टाटा स्ट्रैटिजिक मैनेजमेंट ग्रुप (टीएसएमजी) की रिपोर्ट के अनुसारभारत एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर है जहाँ उसे संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग करते हुए खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को सुलझाना आवश्यक हैपारंपरिक रुप से जिसे हम कभी गंभीरता से नहीं लेते रहे हैं। प्लास्टिकल्चर भारत में दूसरी हरित क्रांति शुरू करने के लिए एक साध्य समाधान है। पानी की कमीनिम्न उत्पादकता और उर्वरकों के नाकाफ़ी इस्तेमाल से होने वाले कार्बन उत्सर्जन के ऊंचे स्तर को प्लास्टिकल्चर के कुशल प्रयोग से कम किया जा सकता है।
माँगसंभावित लाभ और उपलब्ध सब्सिडी प्लास्टिकल्चर तकनीक को अपनाने के मामले में सहायक हो सकती हैं।
आपूर्ति पक्ष परप्रदर्शन के माध्यम से जागरूकता पैदा करनेस्थापित किए जाने के बाद प्रबंधन से साख बनाकरप्रौद्योगिकी उन्नति द्वारा पूंजी लागत नीचे लाने और व्यवहार्य बायोडिग्रेडेबल विकल्प को विकसित कर कार्बन उत्सर्जन को कम रखते हुए उत्पादकता में सुधार करने के प्रयास की जरूरत है।
रिपोर्ट कहती है सरकार को सब्सिडी के आसान और कुशल मंजूरी से प्लास्टिक उद्योग को बढ़ावा देने और कृषि बजट का एक हिस्सा अनुसंधान एवं विकास के लिए आवंटित कर निवेश को बढ़ावा देने के द्वारा एक माहौल बनाने की जरूरत है।

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