नई दिल्ली, 12 मई,। भाजपा दिल्ली
प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि ऐसा लगता है कि आम आदमी पार्टी और उसके
नेता अरविन्द केजवाल हर संघीय संस्थान की स्वतंत्रता को नष्ट करने पर अमादा
हैं। समय-समय पर अनेक विघटनका कार्य किये
हैं, पिछले दिनों
केजवाल और आज-कल राजनीतिक समर्थन कर रहे अनेक दलों ने मिलकर जवाहर लाल नेहरू
विश्वविद्यालय को राजनीतिक अखाड़ा बना कर उसकी गरिमा को विवादित कर दिया है।
इसी क्रम में केजवाल दल अब
दिल्ली विश्वविद्यालय की गरिमा को भंग करने पर भी अमादा हैं। देश भर से छात्र या यूं कहें सर्वोत्तम अंक
पाने वाले छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने आते हैं। किसी भी विश्वविद्यालय से मिलने वाली डिग्री की
तरह दिल्ली विश्वविद्यालय की डिग्री भी उपकुलपति और रजिस्ट्रार के द्वारा
हस्ताक्षरित होती है।
उपाध्याय ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय
डिग्री का सत्यापन अधिका विश्वविद्यालय का रजिस्ट्रार होता है और
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री को
लेकर आम आदमी पार्टी ने जो विवाद उत्पन्न किया उसका पटाक्षेप रजिस्ट्रार द्वारा
डिग्री के सत्यापन के बाद हो जाना चाहिए।
यदि यह मुद्दा किसी न्यायालय के समक्ष भी होता तो कानूनी रूप से रजिस्ट्रार
द्वारा दिया गया वक्तव्य अंतिम माना जाता पर हर संघीय संस्थान की मर्यादा को भंग
करने पर अमादा केजवाल दल अब रजिस्ट्रार और विश्वविद्यालय दोनों की मार्यादा भंग
करने पर अमादा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री
अरविन्द केजवाल को यह समझ लेना होगा कि रजिस्ट्रार के सत्यापन के बाद दिल्ली के
छात्र अब इसे प्रधानमंत्री की डिग्री को चुनौती नहीं बल्कि अपनी स्वयं की डिग्री
को चुनौती मानते हैं क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़े सभी छात्रों की डिग्री
पर रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर हैं।
आम आदमी पार्टी नेताओं
द्वारा रजिस्ट्रार द्वारा सत्यापित डिग्री में विश्वविद्यालय के कम्प्टराइजेशन का
मुद्दा भी जोड़ने पर प्रतिक्रिया देते हुये
सतीश उपाध्याय ने कहा कि यह विषय उठाना आम आदमी पार्टी के नेताओं की
अज्ञनता का प्रमाण है। देश भर के
कार्यालयों के साथ-साथ विश्वविद्यालय रिकार्डों का भी डिजिटलाइजेशन भी हुआ है और
इस पर टिप्पणी पू तरह यह दर्शाती है कि केजवाल दल को देश के विकास की ओर बढ़ते
कदमों से कोई लगाव नहीं है उन्हे हर मुद्दे पर सिर्फ राजनीति करनी है।
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